
बिलासपुर, [12 June ]: साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) मुख्यालय, बिलासपुर में ‘मिशन – ब्रांड सीआईएल’ अभियान के अंतर्गत प्रोक्योरमेंट प्रक्रिया पर एक दिवसीय क्षमता विकास कार्यशाला का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। यह कार्यशाला एसईसीएल के सतर्कता विभाग के तत्वावधान में तथा सामग्री प्रबंधन (एमएम) विभाग द्वारा आयोजित की गई।
ईमानदारी और पारदर्शिता पर जोर
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विभिन्न विभागों के अधिकारियों को नियमों की विधिक समझ, पारदर्शिता, नैतिक निर्णय लेने की प्रक्रिया तथा नियमों के अनुरूप कार्य प्रणाली की दिशा में प्रशिक्षित करना था। कार्यशाला का विषय था “कानून की अनभिज्ञता कोई बहाना नहीं है।”
एसईसीएल के अध्यक्ष-सह-प्रबंध कोल इंडिया लिमिटेड के निदेशक हरीश दुहन ने इस अवसर पर कहा कि सभी अधिकारियों को नियमों की सही जानकारी रखते हुए पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी को नियमों की स्पष्ट जानकारी के साथ आत्मविश्वासपूर्वक निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने सभी अधिकारियों से आग्रह किया कि वे नियमों का पालन करते हुए सजगता और सकारात्मक सोच के साथ कार्य निष्पादन करें।
‘सतर्कता आपके द्वार है’
बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े कोल इंडिया के मुख्य सतर्कता अधिकारी बी.के. त्रिपाठी ने अपने संदेश में कहा, “सतर्कता आपके द्वार है, आपके लिए है और आपके साथ है।” उन्होंने अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे सौहार्दपूर्ण और ईमानदार वातावरण में कार्य करते हुए कंपनी के हित में सही निर्णय लें। एसईसीएल के मुख्य सतर्कता अधिकारी हिमांशु जैन ने भी इस बात पर जोर दिया कि नियमों की जानकारी रखना हर अधिकारी का दायित्व है।
विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने लिया हिस्सा
कार्यशाला के दौरान विभिन्न विभागों के अधिकारियों द्वारा उपयोगी प्रस्तुतियाँ दी गईं, जिनमें क्रय प्रक्रिया, संविदा प्रबंधन, नियामकीय स्पष्टता और निर्णय लेने की प्रणाली जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी साझा की गई। इसमें सामग्री प्रबंधन, वित्त, खनन, यांत्रिक एवं विद्युत, सुरक्षा सहित अन्य विभागों से बड़ी संख्या में अधिकारियों ने भाग लिया।
इस आयोजन में एसईसीएल के निदेशक तकनीकी (संचालन सह योजना/परियोजना) एन. प्रैकलिन जयकुमार, निदेशक (मानव संसाधन) बिएंची दास, निदेशक (वित्त) डी. सुनील कुमार एवं विभिन्न विभागाध्यक्षगण भी उपस्थित रहे। यह कार्यशाला अधिकारियों को कंपनी के लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिक प्रभावी और नैतिक तरीके से योगदान करने में मदद करेगी।