आयुक्त पहुंचे निरीक्षण करने: भिलाई के खुर्सीपार में सीवरेज लाइन के काम का जायजा लिया

भिलाई, 12 june : नगर पालिक निगम भिलाई के आयुक्त अमरनाथ दुबे ने जोन क्रमांक 04 शिवाजी नगर खुर्सीपार के वार्ड क्रमांक 38, 39 और 42 में चल रहे सीवरेज लाइन पुनर्निर्माण कार्य का औचक निरीक्षण किया। आयुक्त राजीव कुमार पांडेय के साथ मौके पर पहुंचे, जहाँ उन्होंने सी. बीजू एजेंसी द्वारा किए जा रहे काम की गुणवत्ता का बारीकी से जायजा लिया।
आयुक्त ने चल रहे सीवरेज लाइन के कार्यों की जानकारी प्राप्त की और अधिकारियों को निर्देशित किया कि काम की गुणवत्ता में किसी प्रकार की कमी न हो और इसे बनाए रखा जाए। उन्होंने विशेष सुझाव भी दिए ताकि निर्माण कार्य उच्च मानकों के अनुरूप हो।
अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया कि वे चल रहे कार्यों का प्रतिदिन निरीक्षण करते रहें। एजेंसी को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि वे दिए गए कार्य को समय सीमा के भीतर पूरा करें।
निरीक्षण के दौरान, आयुक्त पाण्डेय ने पाया कि स्थल पर सीवरेज लाइन के चेम्बर के ढक्कन अज्ञात लोगों द्वारा तोड़कर लोहा चोरी कर लिया गया है। उन्होंने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि चोरी करने वालों और कबाड़ियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए थाने में एफआईआर दर्ज कराई जाए। उन्होंने बताया कि चोरों द्वारा कबाड़ी सामग्री खरीदने और बेचने वालों की मिलीभगत से चोरी का लोहा खरीदा-बेचा जा रहा है।
इस अवसर पर कार्यपालन अभियंता रवि सिन्हा, सहायक अभियंता प्रिया खैरवार, उपअभियंता चंदन निर्मल, चंद्रकांत साहू, जोन सहायक राजस्व अधिकारी बालकृष्ण नायडू, जोन स्वास्थ्य अधिकारी हेमंत मांझी और अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।
मैत्री बाग चिड़ियाघर में अब दिखेंगे तेंदुए और भालू के जोड़े, तैयारी पूरी

भिलाई, 12 June : वन्यजीव संरक्षण और जन-जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के तहत, सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के अंतर्गत उद्यानिकी अनुभाग द्वारा संचालित मैत्री बाग चिड़ियाघर अब तेंदुए और भालू के जोड़े का स्वागत करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इनके लिए विशेष रूप से निर्मित बाड़ों की तैयारी पूर्ण हो चुकी है, जो केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है।
मैत्री बाग के प्रभारी एवं महाप्रबंधक (उद्यानिकी) डॉ. नवीन कुमार जैन ने जानकारी दी कि यह पशु-विनिमय प्रक्रिया केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण द्वारा विधिवत अनुमोदित की जा चुकी है। बाड़ों का निर्माण, वातावरण का अनुकूलन और पशुओं के स्वागत की समस्त पूर्व तैयारी पूर्ण कर ली गई है। जीवों के आगमन के उपरांत उनकी सतत निगरानी की जाएगी, जिससे उनकी मैत्री बाग में अनुकूलता और स्वास्थ्य की स्थिति सुनिश्चित की जा सके।
डॉ. जैन ने बताया कि तेंदुए और भालू का यह जोड़ा नंदनवन जंगल सफारी, नया रायपुर और बिलासपुर चिड़ियाघर से विनिमय के अंतर्गत प्राप्त हुआ है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व मैत्री बाग द्वारा सफेद बाघों का एक जोड़ा नंदनवन को सौंपा गया था। इस तरह के अंतर्राज्यीय चिड़ियाघर सहयोग न केवल आनुवंशिक विविधता को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि विभिन्न प्रजातियों का समान वितरण सुनिश्चित करते हैं।
वर्तमान में मैत्री बाग में लगभग 340 प्रजातियां और सात सफेद बाघ हैं, जिसमें यह भारत के प्रमुख सफेद बाघ संरक्षण केंद्रों में से एक है। डॉ. जैन के अनुसार, मैत्री बाग में पशु कल्याण के उच्चतम मानकों को अपनाया गया है। प्रत्येक प्रजाति को उसकी पोषण आवश्यकताओं और पसंद के अनुसार संतुलित भोजन उपलब्ध कराया जाता है। गर्मी के दिनों में बाड़ों में टायफ मैट, स्प्रिंकलर प्रणाली, ग्रीन नेट्स, कृत्रिम झील और मडबाथ जैसी व्यवस्थाएं की जाती हैं, वहीं सर्दियों में लकड़ी के बोर्ड की व्यवस्था की जाती है।
डॉ. जैन ने कहा, “आज अधिकांश वन्य प्रजातियां हमारे जंगलों में विलुप्त हो रही हैं। चिड़ियाघर की भूमिका अब केवल प्रदर्शन की नहीं, संरक्षण की बन गई है। यदि हम लोगों को जागरूक करें, तो यहीं स्थल वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण आश्रयस्थल बन सकते हैं।” वैज्ञानिक पद्धतियों पर आधारित पशु देखभाल, मजबूत संरक्षण कार्यक्रमों और सार्थक जनसंपर्क के माध्यम से, मैत्री बाग देश में उत्तरदायी और नैतिक चिड़ियाघर संचालन का एक आदर्श मॉडल बन रहा है। आने वाले समय में तेंदुए और भालू का यह नया अध्याय इस परंपरा को और भी समृद्ध करेगा।
भिलाई टाउनशिप का कायाकल्प: अब दिखेंगी भव्य कलात्मक मूर्तियां

भिलाई, [12 June: 1955 में जब भिलाई इस्पात संयंत्र की नींव रखी गई थी, तब यह न केवल एक औद्योगिक परियोजना थी, बल्कि भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और योजनाबद्ध नगरीय विकास की भी नींव थी। 1959 में संयंत्र से पहली बार लोहा निकलते ही देश की औद्योगिक यात्रा ने एक नया मोड़ लिया। इस संयंत्र ने इस्पात उत्पादन में देश को सशक्त करते हुए एक आदर्श नगर के रूप में भिलाई टाउनशिप की परिकल्पना को साकार किया।
1960 और 70 के दशकों में जब संयंत्र के लिए सेक्टरों का विकास हुआ, तब हरेक आवास में संग कर्मी के लिए एक ऐसा जीवन भी सुनिश्चित किया गया जिसमें कार्य और जीवन का संतुलन, हरियाली, खुले मैदान, उद्यान, सड़कें, विद्यालय, अस्पताल और नागरिक संरचनाएं शामिल थीं। यही कारण है कि भिलाई टाउनशिप दशकों तक हरित नगरीय के रूप में जानी गई।
पुनरुद्धार की नई गाथा
समय के प्रवाह में, कुछ संरचनाएं जर्जर हुईं, कुछ सड़कें उपेक्षा का शिकार बनीं और टाउनशिप की मूल चमक मद्धम पड़ने लगी। फिर भी, यह केवल एक विराम था, अंत नहीं। अब, भिलाई इस्पात संयंत्र ‘एक नया काम जैसे गौरव’ अभियान के माध्यम से शहर के पुनरुद्धार की एक नई गाथा लिख रहा है।
नगर सेवाएं विभाग ने जिस प्रतिबद्धता से इस अभियान को मूर्त रूप दिया है, वह प्रशंसनीय है। जर्जर सड़कों का चौड़ीकरण, मरम्मत और रीकारपेटिंग से लेकर पुराने आवासों एवं क्लबों व कम्युनिटी केंद्रों के जीर्णोद्धार तक, हर पहल पर कार्य योजनाबद्ध और गतिशील है। यह महज रखरखाव नहीं, बल्कि नागरिकों को फिर से गरिमामय, स्वच्छ और संरक्षित जीवन देने का दायित्व है जो लोगों के विश्वास, गौरव और सामरिक जुड़ाव को भी पुनर्जीवित कर रहा है।