मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में बताया कि मराठा आरक्षण को लेकर उनका आंदोलन अब खत्म हो चुका है, क्योंकि मामला सरकार के साथ सुलझ गया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति आरती साठे की खंडपीठ ने उनकी बात को स्वीकार किया, लेकिन यह भी कहा कि आंदोलन के दौरान हुई अन्य घटनाओं और शिकायतों पर जवाब देना जरूरी है।
कोर्ट ने पूछा, सरकारी संपत्ति को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है, उसका जिम्मेदार कौन है? जरांगे की ओर से पेश हुए वकील सतीश मानशिंदे और वी. एम. थोराट ने कोर्ट में दलील दी कि आंदोलन शांतिपूर्ण था और सिर्फ आम जनता को असुविधा हुई, संपत्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया। इस पर कोर्ट ने कहा कि जरांगे और आंदोलन से जुड़ी संस्थाओं को हलफनामा दाखिल करना होगा, जिसमें यह साफ लिखा हो कि वे किसी भी तरह की हिंसा या तोड़फोड़ के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
पीठ ने कहा, अगर हलफनामे में इनकार नहीं किया गया, तो जरांगे और उनकी टीम को उपद्रव का भड़काने वाला माना जाएगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर सही तरीके से हलफनामा दाखिल हो जाता है, तो कोई सख्त आदेश नहीं दिया जाएगा, बल्कि याचिकाएं निपटा दी जाएंगी। कोर्ट ने जरांगे और उनकी टीम को चार सप्ताह का समय दिया है ताकि वे हलफनामा दाखिल कर सकें।

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