
जगदलपुर/नारायणपुर, [आज की तारीख]: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में नक्सलियों के आत्मसमर्पण का सिलसिला लगातार जारी है। सुरक्षा बलों के लगातार प्रयासों के फलस्वरूप आज फिर दो इनामी और सक्रिय महिला नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इन दोनों महिला नक्सलियों पर क्रमशः 8 लाख रुपये और 1 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
नारायणपुर पुलिस अधीक्षक (एसपी) प्रभात कुमार ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि सरकार की पुनर्वास नीति, जिसमें बेहतर घर, नौकरी और एक सामान्य जीवन की आस शामिल है, ने इन नक्सलियों को आकर्षित किया है। उन्होंने ‘माड़ बचाओ अभियान’ का जिक्र करते हुए कहा कि इन नक्सलियों ने अब माड़ और खुद की भलाई के लिए सोचा है, और इस अभियान ने उन्हें एक नई आस दी है।
नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में लाने का प्रयास
आत्मसमर्पित महिला माओवादियों ने समाज की संवेदनशील मुख्यधारा से जुड़ने की शपथ ली। ये दोनों नारायणपुर जिले के माड़ क्षेत्र एवं कांकेर जिले की परतापुर एरिया कमेटी के अंतर्गत सक्रिय थीं। इस साल कुल 03 बड़े-छोटे कैडर के माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है।
एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि माओवादी विचारधारा में भटके नक्सलियों को उनके परिवार वाले भी वापस लाना चाहते हैं। उन्होंने सभी नक्सली भाई-बहनों से अपील की है कि उनका बाहरी लोगों की भ्रामक बातों और विचारधारा से बाहर निकलने का समय आ गया है। अब समय माड़ को वापस उसके मूलवासियों को सौंप देने का है जहाँ वे निर्भीक रूप से सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।
आत्मसमर्पण करने वाली महिला नक्सली और प्रोत्साहन राशि
नक्सली सुकलो कोर्राम उर्फ सपना पति भरत कोर्राम (कंपनी नंबर 1, पीपीसीएम, 8 लाख की इनामी) और देवली मंडावी पिता लक्ष्मण (उम्र 22 वर्ष, निवासी मेटानार पंचायत कमलानार, परतापुर एरिया जनमिलिशिया सदस्य, 1 लाख की इनामी) ने एसपी प्रभात कुमार, एएसपी रॉबिंसन गुड़िया, एएसपी ऐश्वर्य चंद्राकर, डीएसपी अविनाश कंवर, अमृता पैकरा, मनोज ध्रुव और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) मंडावी के समक्ष बिना हथियार के थाना कुकड़ाझोर, जिला नारायणपुर में आत्मसमर्पण किया।
आत्मसमर्पण करने पर उन्हें प्रोत्साहन राशि के तौर पर 50-50 हजार रुपये के चेक प्रदान किए गए हैं। उन्हें नक्सल उन्मूलन नीति के तहत मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएँ भी दिलाई जाएंगी।
आत्मसमर्पण के पीछे के कारण
एसपी प्रभात कुमार ने बताया कि माओवादियों द्वारा आत्मसमर्पण के लिए माड़ और नारायणपुर जिले में लगातार चलाए जा रहे विकास कार्य, तेजी से बनती सड़कें और गाँवों तक पहुँचती विभिन्न सुविधाओं ने इन्हें प्रेरित किया है। संगठन के विचारों से मोहभंग एवं मिली निराशा, संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद और बाहरी नक्सलियों द्वारा भेदभाव, शोषण, अत्याचार तथा स्थानीय आदिवासियों पर होने वाली हिंसा से तंग आकर ये महिलाएँ आत्मसमर्पण करने को मजबूर हुईं।
उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आने वाले समय में और भी नक्सलियों के संगठन छोड़कर आत्मसमर्पण करने की गोपनीय सूचनाएँ हैं। इस आत्मसमर्पण कराने में नारायणपुर पुलिस के साथ-साथ आईटीबीपी और बीएसएफ का विशेष योगदान है। इस प्रकार नक्सलियों का हो रहे आत्मसमर्पण से शीर्ष माओवादी कैडर के लिए बड़ा नुकसान हुआ है और नक्सल मुक्त माड़ बचाव अभियान कल्पना साकार रूप ले रहा है।

धार्मिक टिप्पणी मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने भाजपा नेताओं को भेजा मानहानि का नोटिस
धार्मिक टिप्पणी के मामले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व सांसद दीपक बैज ने भाजपा नेता अरविंद नेताम, मंत्री केदार कश्यप और सांसद महेश कश्यप को मानहानि का नोटिस भेजा है।
दीपक बैज ने कहा है कि इन तीनों भाजपा नेताओं ने उनकी छवि और राजनीतिक अस्मिता को नुकसान पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने मांग की है कि इन नेताओं को अपने कृत्य के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी।
‘भाजपा ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है’
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी द्वारा लगातार प्रदेश में जल, जंगल, जमीन से जुड़े मुद्दे उठाए जा रहे हैं। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के साथ कवर्धा के लोहांडीह कांड से लेकर बस्तर के जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा को निजी हाथों में बेचे जाने के विरोध में पदयात्राएं की थीं। इसे व्यापक जन समर्थन मिला, जिससे भाजपा बौखला उठी है।
बैज ने कहा, “इसी बौखलाहट में बस्तर और छत्तीसगढ़ की जनता का ध्यान असल मुद्दे से भटकाने के लिए भाजपा के लोगों ने मुझ पर व्यक्तिगत प्रहार करने के लिए ऐसी ओछी टिप्पणी की है। इसी वजह से मैंने इन तीनों नेताओं को मानहानि का नोटिस भेजा है।”
सियासी हलचल जारी
उल्लेखनीय है कि बस्तर के वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ‘कार्यकर्ता वर्ग’ में भाग लेने और वहाँ आदिवासियों के धर्मांतरण को लेकर बयान दिए जाने तथा धर्मांतरण रोकने के लिए बड़ी पहल आरएसएस को ही सक्षम बताए जाने के बाद से छत्तीसगढ़ में सियासी खलबली मची हुई है। इसे लेकर कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के बीच जुबानी जंग लगातार चल रही है। यह नोटिस इस जुबानी जंग को और तेज कर सकता है।
शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तीकरण के खिलाफ कांग्रेस का प्रदर्शन: बीईओ कार्यालय का घेराव कर सौंपा ज्ञापन

जगदलपुर, [12 June 2025]: बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी (शहर) और ग्रामीण के संयुक्त नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आज बीईओ (ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर) कार्यालय का घेराव किया और तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा। यह प्रदर्शन शिक्षा विभाग में चल रहे युक्तियुक्तीकरण (Rationalization) के खिलाफ किया गया, जिसे कांग्रेस शिक्षा विरोधी और रोजगार विरोधी कदम बता रही है।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी (शहर) के अध्यक्ष सुशील मौर्य ने आरोप लगाया कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने 45 हजार शिक्षकों की नई भर्ती का वादा किया था, लेकिन अब 10 हजार से अधिक स्कूलों को बंद करने जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों, विशेषकर बस्तर, सरगुजा, जशपुर जैसी जगहों पर स्कूलों की कमी होगी।
रोजगार का संकट और गुणवत्ता पर सवाल
सुशील मौर्य ने दावा किया कि सरकार झूठ बोल रही है कि स्कूल बंद नहीं होंगे। उन्होंने बताया कि भाजपा ने विधानसभा चुनावों में 57 हजार शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था, लेकिन सरकार बनने के बाद 33 हजार शिक्षक भर्ती की घोषणा हुई। इस वर्ष के बजट में भी 20 हजार शिक्षकों की भर्ती की बात की गई और अब केवल 5 हजार शिक्षक भर्ती की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि शिक्षक भर्ती न करनी पड़े, इसलिए 45 हजार शिक्षक पद युक्तियुक्तीकरण के जरिए समाप्त किए जा रहे हैं।
मौर्य ने कहा, “इससे न सिर्फ शिक्षकों का भविष्य संकट में आ गया है, बल्कि बच्चों की पढ़ाई पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। सरकार की इस नीति से ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं। एक तरफ सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों को खाली किया जा रहा है। यह दोहरी नीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। भाजपा की साय सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह चौपट करने का षड्यंत्र रचा है।”
शराब दुकानों को प्राथमिकता, शिक्षा को नहीं
सुशील मौर्य ने आगे कहा कि भाजपा सरकार के नए सेटअप में प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में एचएम (हेडमास्टर) को शिक्षकीय पद मानते हुए प्राइमरी में 30 और मिडिल में 35 बच्चों के बीच एक शिक्षक का सेटअप घोषित है। उन्होंने कहा कि युक्तियुक्तीकरण शिक्षा विरोधी, रोजगार विरोधी कदम है। 10 हजार स्कूलों के बंद होने से रसोइया, चौकीदार, भृत्य जैसे पद भी समाप्त होंगे, जिससे हजारों लोगों के रोजगार के अवसर समाप्त होंगे।
मौर्य ने जोर देकर कहा कि 10 हजार स्कूलों का बंद होना प्रदेश की साय सरकार की सबसे बड़ी विफलता है, जबकि शराब दुकानें खोली जा रही हैं और स्कूल बंद हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “सरकार नई शिक्षक भर्ती करने के बजाय शराब दुकान को प्राथमिकता दे रही है। इस सरकार में शिक्षा की गुणवत्ता पूरी तरह से कमजोर हो चुकी है, जिसका कांग्रेस पार्टी विशेष विरोध करती है।”
कांग्रेस की चेतावनी
नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष माधव चौधरी ने कहा कि शिक्षकों को नई भर्तियों से बचने के लिए साय सरकार ने युक्तियुक्तीकरण का हथकंडा अपनाया है। उन्होंने बताया कि साय सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा नुकसान बस्तर और सरगुजा के आदिवासी अंचलों में पढ़ने वाले बच्चों पर पड़ेगा। स्कूलों को जबरन बंद किए जाने से न केवल शिक्षक ही नहीं, बल्कि स्कूलों के हजारों रसोइया, स्वीपर और मध्याह्न भोजन बनाने वाली स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के समक्ष जीवन यापन का संकट उत्पन्न हो जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के स्तर पर बुरा असर पड़ना निश्चित है।
पूर्व विधायक रेखचंद जैन ने भी कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार की इस नीति से शिक्षा व्यवस्था चरमरा जाएगी। कांग्रेस पार्टी ने सख्त चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने युक्तियुक्तीकरण की प्रक्रिया को तत्काल बंद नहीं किया, तो आने वाले समय में कांग्रेस कार्यकर्ता और शिक्षक मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और वन मंत्री केदार कश्यप बस्तर पहुंचे, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों ने किया स्वागत

जगदलपुर, 12 June: छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा और वन मंत्री केदार कश्यप आज एक दिवसीय संक्षिप्त बस्तर प्रवास पर जगदलपुर पहुंचे। मां दंतेश्वरी एयरपोर्ट पर आगमन पर जनप्रतिनिधियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने उनका आत्मीय स्वागत किया।
इस दौरान पूर्व मंत्री महेश गागड़ा और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव भीम सिंह भी मौजूद रहे। अतिथियों का स्वागत करने वालों में विधायक चित्रकोट विनायक गोयल भी शामिल थे। बस्तर आईजी सुंदरराज पी., कलेक्टर हरिस एस., एसपी शलभ कुमार सिन्हा, जिला पंचायत सीईओ प्रतीक जैन सहित अन्य अधिकारियों ने मंत्रियों का स्वागत किया
कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने ली विभागीय बैठक: हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की नियमित निगरानी में तेजी के निर्देश
कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में विभिन्न विभागों के कामकाज की समीक्षा बैठक ली। बैठक के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए, जिसमें स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाने पर जोर दिया गया।
स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान
कलेक्टर चतुर्वेदी ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) को जिले में चिन्हित हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं और एनीमिक महिलाओं के स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इन महिलाओं से रोजाना फोन और फील्ड लेवल स्टाफ के माध्यम से संपर्क कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली जाए। उनकी नियमित जांच, दवाओं और खान-पान पर विशेष ध्यान देने के लिए एक कार्ययोजना बनाकर तुरंत उसे अमल में लाने के निर्देश दिए गए।
एसडीएम को फील्ड निरीक्षण के निर्देश
कलेक्टर चतुर्वेदी ने सभी एसडीएम (अनुविभागीय दंडाधिकारी) को निर्देश देते हुए कहा कि जब भी वे फील्ड पर निरीक्षण के लिए निकलें, तो आंगनबाड़ी, स्कूल, छात्रावास और स्वास्थ्य केंद्रों का निरीक्षण जरूर करें। शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन की सब-डिवीजन स्तर पर मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी एसडीएम की है।
गबन के मामलों में वसूली और फार्मर रजिस्ट्री में तेजी
पंचायतों में गबन के मामलों में जिम्मेदार लोगों से वसूली के संबंध में सभी एसडीएम को निर्देश देते हुए कहा गया कि बकाया राशि की वसूली शीघ्र की जाए, इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। हर हफ्ते इसकी समीक्षा की जाएगी।
कलेक्टर चतुर्वेदी ने बैठक में फार्मर रजिस्ट्री की भी समीक्षा की। उन्होंने तहसीलवार जानकारी ली और सभी एसडीएम और तहसीलदारों से कहा कि फार्मर रजिस्ट्री में वेरिफिकेशन और अप्रूवल का काम तेजी से निपटाएं। इसकी अब रोजाना जानकारी ली जाएगी। उन्होंने जिले के नोडल डिप्टी कलेक्टर को नियमित प्रोग्रेस रिपोर्ट देने के लिए कहा।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लंबित मामलों का तुरंत निपटारा

उन्होंने विभाग प्रमुखों को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि उनके विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी-कर्मचारियों के पेंशन, ग्रेच्युटी व अन्य भुगतान संबंधी प्रकरणों का निराकरण उनके कार्यालय स्तर से ही हो जाना चाहिए। इसके लिए उन्हें कहीं और भटकने की जरूरत बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। यह सुनिश्चित करना विभाग प्रमुखों की जिम्मेदारी है।